IAS Success Story : संघर्ष पथ पर जो मिले, ये भी सही, वो भी सही। ये पंक्तियां उन लोगों को समर्पित हैं जो जीवन की तमाम चुनौतियों के बावजूद अपने काम से पीछे नहीं हटते और अंत में सफलता इन लोगों के कदम चूमती है ! हर व्यक्ति के जीवन में संघर्ष होते हैं, लेकिन मायने यह रखता है कि आप उन संघर्षों में भी सफल होने के लिए किस तरह तैयारी कर रहे हैं। आज देश के हर कोने में लोग यूपीएससी ( Union Public Service Commission ) की तैयारी कर रहे हैं। किसी के पास हर सुख-सुविधा है तो किसी के पास गरीबी और संघर्ष के साथ कुछ करने का सपना होता है, जो एक दिन उन्हें सफलता दिलाता है।
IAS Success Story
आज हम आपके लिए एक ऐसी ही सफलता की कहानी लेकर आए हैं, जो IAS अधिकारी के. जयगणेश ( IAS K. Jaiganesh ) की है। एक गरीब परिवार में पले-बढ़े बड़े के. जयगणेश यूपीएससी ( Union Public Service Commission ) परीक्षा में 6 बार असफल हुए। उनके अथक प्रयासों को देखते हुए उन्हें आईबी में नौकरी की पेशकश की गई, लेकिन उनका मिशन IAS बनना था, इसलिए उन्होंने फिर से हिम्मत जुटाई और तैयारी शुरू कर दी और 7वें प्रयास में 156वीं रैंक के साथ भारतीय प्रशासनिक सेवा ( Indian Administrative Service ) अधिकारी बन गए।
Union Public Service Commission
आईएएस अधिकारी के.जयगणेसन ( IAS K. Jaiganesh ) का जन्म तमिलनाडु के वेल्लोर जिले में हुआ था। उनका पूरा परिवार विनवमंगलम के एक छोटे से गाँव में रहता था। परिवार की स्थिति आर्थिक रूप से बहुत कमजोर थी। पिता एक फैक्ट्री में काम करते थे। किसी तरह परिवार का खर्च चलता था और जयगणेश इन परिस्थितियों से अच्छी तरह वाकिफ थे। अपने परिवार के साथ-साथ गांव की गरीबी दूर करने का सपना उनके मन में बचपन से ही पल रहा था, इसलिए उन्होंने अपनी पढ़ाई कभी नहीं छोड़ी।
आर्थिक रूप से कमजोर, लेकिन साहस से भरपूर
आईएएस के जयगणेश ( IAS K. Jaiganesh ) ने 10वीं की पढ़ाई अपने गांव से पूरी की और नौकरी पाने का सपना लेकर एक पॉलिटेक्निक कॉलेज में दाखिला लिया। आगे की पढ़ाई में जयगणेश ने अपनी पहली कॉलेज डिग्री 91% अंकों के साथ ली और आगे की पढ़ाई के लिए वह मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने के लिए थांथी पेरियार इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी चले गए।
नौकरी के साथ IAS बने K. Jaiganesh
यहां भी उन्होंने शिक्षा में बेहतर प्रदर्शन किया और कॉलेज पास करने के बाद उन्हें 2500 रुपये की नौकरी मिल गयी। तमाम मेहनत के बाद नौकरी मिलने की खुशी तो थी, लेकिन यह सैलरी परिवार को गरीबी से बाहर निकालने के लिए काफी नहीं थी। काफी समय से मेरे मन में भारतीय प्रशासनिक सेवा ( Indian Administrative Service ) बनने का सपना पल रहा था। जब उन्हें होश आया तो उन्होंने नौकरी छोड़ दी और यूपीएससी ( Union Public Service Commission ) की तैयारी करने लगे।
IAS Success Story
हर देश के लाखों युवा सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करते हैं, लेकिन हर कोई भाग्यशाली नहीं होता कि वह एक बार परीक्षा पास कर ले, लेकिन असली विजेता वही होता है, इसलिए भाग्य को पीछे छोड़ दें। आईएएस अधिकारी के. जयगणेश भी यूपीएससी ( Union Public Service Commission ) की तैयारी में लगे हुए थे। मैंने मन बना लिया था कि जब तक मैं पास नहीं हो जाऊंगा, वहां से नहीं जाऊंगा।
Union Public Service Commission
उनका यह प्रण हर असफलता के बाद उनकी हिम्मत बन गया। 6 बार परीक्षा दी, लेकिन सफलता नहीं मिली। हिम्मत न हारते हुए पढ़ाई जारी रखी। इस बीच आर्थिक तंगी और परिवार के मानसिक दबाव के कारण उन्होंने छोटी-मोटी नौकरियाँ भी कीं। पढ़ाई के लिए समय निकाला और छठी परीक्षा के बाद इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) परीक्षा के लिए चयनित हो गए।
Indian Administrative Service Success Story
आईएएस के जयगणेश ( IAS K. Jaiganesh ) ने इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) में नौकरी करने के बजाय फिर से UPSC को चुना। ये फैसला बहुत कठिन था, लेकिन इन संघर्षों के बीच मैंने 7वीं बार यूपीएससी की परीक्षा दी। कड़ी मेहनत, साहस और दृढ़ संकल्प काम आया और उन्होंने यूपीएससी परीक्षा पास कर 156वीं रैंक हासिल की। धैर्य की कमी के कारण आज के युवा यूपीएससी ( Union Public Service Commission ) परीक्षा या जीवन की अन्य परीक्षाएं पहले या दूसरे प्रयास में ही छोड़ देते हैं। ऐसे में आज आईएएस अधिकारी के. जयगणेश देश के लाखों युवाओं के लिए एक मिसाल बनकर उभरे हैं।
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