ITR of Freelancing or Consultant फ्रीलांसर और कंसल्टेंट ऐसे फाइल करें ITR, ये है फॉर्म : इनकम टैक्स फाइल करने की आखिरी तारीख ( Income Tax Return Filing Last Date ) तेजी से नजदीक आ रही है। साथ ही इस बार सरकार ने इशारा भी दे दिया है कि वे इस बार आईटीआर फाइल ( ITR File Date Extend ) करने की तारीख आगे बढ़ाने के मूड में नहीं है। अगर सरकार का मन आखिरी तारीख तक भी नहीं बदलता है और आईटीआर फाइल करने की आखिरी तारीख नहीं बढ़ती है, तो ऐसे में जिन लोगों ने अभी तक अपना ITR Filling का काम नहीं निपटाया है वो 31 जुलाई तक भर सकते हैं।
Freelancing or Consultant File Income Tax Return
इस तारीख के बाद के टैक्स रिटर्न फाइल करने पर आपको जुर्माना ( Late ITR Filing Penalty ) देना पड़ेगा। ऐसे में बहुत सारे लोग आईटीआर फाइल कर चुके हैं और बहुत से लोग अभी भी आईटीआर फाइल ( ITR File ) करने की सोच रहे हैं। अगर आप नौकरीपेशा हैं तो आप आसानी से आईटीआर भर लेते हैं, लेकिन अगर आपको फ्रीलांसिंग ( ITR of Freelancing ) से कमाई हुई है तो उसका क्या? आज हम आपको इस बारे में जानकारी देने जा रहे हैं, जो आपके बेहद काम आएगी।
Freelancing or Consultant के ITR में क्या है अलग?
अगर आप फ्रीलांसिंग करते हैं या कंसल्टेंट ( ITR of Freelancing or Consultant ) हैं तो आप पर टैक्स एक नौकरीपेशा व्यक्ति पर लगने वाले टैक्स की तुलना में अलग तरीके से लगेगा। इसके चलते आप नौकरीपेशा लोगों की तरह आईटीआर-1 या आईटीआर-2 फॉर्म ( ITR-1 or ITR-2 Form ) नहीं भर सकते हैं। न ही आप नौकरीपेशा लोगों की तरह 50 हजार रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन का फायदा ( Standard Deduction Benefit ) ले सकते हैं।
क्योंकि उनकी इनकम सैलरी के रूप में उनके खाते में नहीं आती है। हालांकि, अपने खर्चों के हिसाब से आप कुछ डिडक्शन क्लेम ( Deduction Claim ) कर सकते हैं। एक बात और आपको पता होनी जरूरी है कि नौकरीपेशा की तरह आप हर साल टैक्स रिजीम ( Tax Regime ) नहीं चुन सकते हैं। ऐसे में पहले से ही अच्छे से सोच-समझ लें कि कहां फायदा है और कहां नहीं। उसके बाद ही टैक्स रिजीम सेलेक्ट ( Tax Regime Select ) करें।
क्या होता है Tax Slab?
फ्रीलांसर या कंसल्टेंट ( Freelancing or Consultant ) के लिए भी टैक्स का वही स्लैब होता है जो एक नौकरी पेशा के लिए रहता है यानी स्लैब में तो कोई फर्क नहीं है, लेकिन डिडक्शन दोनों के हिसाब से अलग-अलग हो सकते हैं। वहीं फ्रीलांसिंग या कंसल्टिंग से कमाई करने वाले को आईटीआर-3 फॉर्म ( Freelancing or Consultant ITR-3 Form ) भरना होता है।
वहीं अगर आपने प्रिजम्पटिव स्कीम ( Preemptive Scheme ) चुनी है तो आपको आईटीआर-4 फॉर्म ( ITR-4 Form ) भरना होगा। ये आईटीआर-3 की तुलना में बहुत आसान है, जिसमें आपको प्रॉफिट एंड लॉस और बैलेंस शीट ( Profit and Loss and Balance Sheet ) की डिटेल्स भरनी पड़ती हैं। हालांकि, अगर कमाई 50 लाख रुपये से ज्यादा है और आप अपने नुकसान को कैरी फॉर्वर्ड करना चाहते हैं तो आईटीआर-3 फॉर्म ही भरना होगा।
क्या होती है Presumptive Taxation Scheme?
इसके अलावा फ्रीलांसर और कंसल्टेंट ( Freelancing or Consultant ) की बात करें तो, वे इस प्रिजम्पटिव टैक्सेशन स्कीम ( Presumptive Taxation Scheme ) को चुन सकते हैं। इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 44एडी ( Section 44AD of the Income Tax Act ) के तहत प्रीजम्पटिव स्कीम ऐसे प्रोफेशनल्स के लिए होती है, जिन्हें वित्त वर्ष 2022-23 ( FY 2022-23 ) में 50 लाख रुपये से ज्यादा नहीं मिले हैं।
अगले साल से इस सीमा को बढ़ाकर 75 लाख रुपये कर दिया जाएगा। इसके तहत ये प्रोफेशनल्स अपनी आय का 50 फीसदी यानी आधी इनकम को बिजनेस इनकम की तरह दिखा सकते हैं और फिर उसी के हिसाब से टैक्स कैलकुलेशन ( Tax Calculation ) होता है। अगर कोई फ्रीलांसर पर्सेप्टिव टैक्सेशन ( Freelancer Perceptive Taxation ) को चुनता है तो वे कोई भी बिजनेस इनकम से जुड़ी हुई डिडक्शन क्लेम नहीं कर पाएगा।
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