General Knowledge Printed Currency Facts भारत में इन चार जगहों में छपते हैं नोट : जैसा की सभी जानते हैं कि साल 2016 में डिमोनेटाइजेशन होने के बाद से देश में 500 और 2000 के नोटों ने अपना कब्जा जमाया, लेकिन 2000 का नोट लोगों और मार्केट के लिए सिर का दर्द बन गया, जिसके बाद अब इसी साल मई, 2023 में भारतीय रिजर्व बैंक ( Reserve Bank of India ) ने 2000 रुपये के नोटों का सर्कुलेशन वापस ले लिया है। हालांकि, 2000 का नोट कई सालों से कम ही देखने को मिल रहा था। कहा तो ये भी जा रहा था कि RBI ने बहुत पहले ही 2000 के नोटों की छपाई बंद कर दी थी।
भारत में इन चार जगहों में छपते हैं नोट | GK In Hindi
ऐसे में एक सवाल आपके ज़हन में आ सकता है कि आखिर नोटों की छपाई होती कहां है और इसे कौन करता है? दरअसल, भारतीय करेंसी छापने ( Indian Currency Printing GK ) का काम भारत सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ( Reserve Bank of India ) का ही होता है, जिसके लिए देशभर में चार प्रिंटिंग प्रेस हैं। यहीं पर नोट छापे जाते हैं और भारतीय करेंसी के सिक्के भी चार मिंट में बनाए जाते हैं। आज हम अपने पोस्ट में आपको इस बारे में पूरी जानकारी देने जा रहे हैं, जो आपके बेहद काम आएगी। चलिए जानते हैं कहां होती है छपाई और कहां से आता हा कागज?
न राज्य में छापे जाते हैं नोट | GK IN HINDI
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 1926 में भारत में नोट छापने ( Printed Currency Facts ) के उद्देश्य से नासिक, महाराष्ट्र के एक प्रिंटिंग प्रेस की स्थापना हुई थी। इस प्रेस में 10, 100 और 1000 के नोट छापने का काम शुरू किया गया था। हालांकि, इस दौरान कुछ नोट इंग्लैंड से आयात किए जाते थे। साल 1947 तक, नोट छापने का काम केवल नासिक प्रेस में ही किया जाता था। बाद में साल 1975 में मध्यप्रदेश के देवास में भारत की दूसरी प्रेस की स्थापना हुई औरसाल 1997 तक ये दोनों प्रेस नोट छापने के लिए उपयुक्त रहे।
चार जगह छपते हैं नोट | General Knowledge
साल 1997 में सरकार ने नोटों की छपाई को अमेरिका, कनाडा और यूरोप की कंपनियों से भी शुरू कर दिया। साल 1999 में कर्नाटक के मैसूर में और फिर साल 2000 में पश्चिम बंगाल के सलबोनी में नोटों की छपाई के लिए प्रेस की स्थापना की गई। हाल में भारत में चार नोट छापने ( Amazing Facts About Printed Currency ) की प्रेसें हैं। देवास और नासिक की प्रेसें वित्त मंत्रालय के अधीन काम करती हैं।
जो सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ( Security Printing and Minting Corporation of India ) के नेतृत्व में है। सलबोनी और मैसूर की प्रेसें भारतीय रिजर्व बैंक की सब्सिडियरी कंपनी ( Subsidiary company of Reserve Bank of India ), भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड ( Bharatiya Reserve Bank Note Mudran Private Limited ) द्वारा संचालित होती हैं।
कहां से आता है पेपर? | Facts About Printed Currency GK
भारतीय मुद्रा के नोट ( Indian Currency Note Paper ) में इस्तेमाल होने वाला ज्यादातर पेपर जर्मनी, यूके और जापान से आयात किया जाता है। RBI अधिकारियों के मुताबिक, भारतीय मुद्रा के 80% नोट विदेश से आने वाले कागज पर ही छपते हैं। वैसे भारत के पास भी एक पेपर मिल सिक्योरिटी पेपर मिल (होशंगाबाद) है, जो नोट और स्टांप के लिए पेपर बनान का काम करती है। वहीं, नोटों में लगने वाली स्पेशल स्याही ( Currency Note special ink ) स्विजरलैंड की कंपनी SICPA से मंगाई जाती है।
भारत में भी लगी स्याही बनाने वाली यूनिट
Printed Currency Facts : हालांकि, कर्नाटक के मैसूर में भी केंद्रीय बैंक की सब्सिडियरी भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण ( BRBNMPL ) की स्याही बनाने वाली यूनिट वर्णिका ( Vernika ) की स्थापना की गयी है, जिसका उद्देश्य देश को नोट छापने के मामले में आत्मनिर्भर बनाना है।
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