Chanakya Niti : माता-पिता बनना जीवन का सबसे बड़ा सुख है, लेकिन आचार्य चाणक्य ( Acharya Chanakya ) के अनुसार संतान सुख से भी बड़ा सुख तब मिलता है ! जब बच्चे अपने माता-पिता का नाम दुनिया में रोशन करें। माता-पिता अपने बच्चे को सफल बनाने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं, ताकि उसे जीवन की सभी सुख-सुविधाएं मिल सकें।
Chanakya Niti
आचार्य चाणक्य ( Acharya Chanakya ) ने माता, पिता और संतान के बारे में बहुत ही महत्वपूर्ण विचार साझा किए हैं, चाणक्य ने बताया है कि इंसान के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज क्या है, उनका कहना है कि यह एक ऐसा पाप है जिसे भगवान के घर में भी माफ नहीं किया जा सकता है।
मानव जीवन का सबसे बड़ा पाप
चाणक्य नीति ( Chanakya Niti ) कहती है कि व्यक्ति हथियारों से ज्यादा अपनी बातों से दूसरों को घायल कर सकता है. कड़वे शब्द ऐसी चीज़ हैं जो बिना हाथ लगाए दूसरों पर हमला कर सकते हैं। आचार्य चाणक्य ( Acharya Chanakya ) ने एक बयान में कहा है कि जो व्यक्ति अपनी जीभ की ताकत का इस्तेमाल अपने माता-पिता के लिए करता है, उससे बड़ा पाप जीवन में कोई नहीं है। इस कथन का अर्थ यह है कि जो व्यक्ति अपने माता-पिता को गाली देता है वह महापापी कहलाता है।
इस गलती के लिए कोई माफ़ी नहीं है
माता-पिता को भगवान का दर्जा दिया गया है। माता-पिता अपने बच्चे की खुशी के लिए अपना पूरा जीवन लगा देते हैं। आचार्य चाणक्य ( Acharya Chanakya ) ने कहा है कि जिस प्रकार तीर से निकला हुआ तीर वापस नहीं आता, उसी प्रकार जीभ से निकला हुआ शब्द कभी वापस नहीं आता। अक्सर इंसान गुस्से में आकर अपने माता-पिता को कड़वे शब्द बोल देता है, लेकिन जब सब कुछ सामान्य होता है तो इंसान के पास पछताने के अलावा कुछ नहीं बचता है। याद रखें, हमारा एक गलत वाक्य या शब्द उनके दिल को गहरी चोट पहुंचा सकता है। चाणक्य नीति ( Ethics Of Chanakya ) के अनुसार ऐसे में अगर वे माफ भी कर दें तो भगवान उनकी इस गलती को कभी माफ नहीं करते।
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