Chanakya Niti चाणक्य के ये श्लोक आपको रखेंगे दूसरों से आगे : आचार्य चाणक्य ( Acharya Chanakya ) को आर्थिक विद्वान माना जाता है। उन्होंने नंद वंश को पतन के बाद मौर्य वंश की स्थापना की, जिसके राजा चंद्रगुप्त मौर्य ( Chandragupta Maurya ) थे। चाणक्य ने नीतियों की मदद से नंद वंश को पतन कराया और चंद्रगुप्त मौर्य को राजा बनाया। चाणक्य, विशेष रूप से भारतीय राजनीति और नीतिशास्त्र के क्षेत्र में मशहूर हुए हैं। उन्होंने अर्थशास्त्र को लिखा है, जिसे कौटिलीय अर्थशास्त्र ( Kautilya Arthashastra ) भी कहा जाता है। ये उनकी नीति संहिता भी है, जिसे चाणक्य नीति ( Chanakya Niti ) भी कहा जाता है, जिसमें कुछ 17 अध्याय हैं।
Chanakya Niti In Hindi
चाणक्य नीति ( Chanakya Neeti In Hindi ) धर्म, राजनीति, आर्थिक मामले, समाज, साथीपन और व्यवहार आदि पर विचार करती है। चाणक्य नीति ( Chanakya Neeti ) के उपदेशों और सूत्रों को आज भी लोगों द्वारा मार्गदर्शन के रूप में उपयोग किया जाता है। चाणक्य की नीतियों को आज के दिनों में प्रसिद्ध पुस्तक “चाणक्य नीति” ( Chanakya Niti In Hindi ) में दिखाया गया है। यहां हम आपके सामने कुछ श्लोक बताने जा रहे हैं जो हर किसी के लिए उपयोगी साबित हो हो सकते हैं। चलिए जानते हैं वो श्लोक –
ते पुत्रा ये पितुर्भक्ताः सः पिता यस्तु पोषकः।
तन्मित्रं यत्र विश्वासः सा भार्या या निवृतिः॥
हिंदी अर्थ – चाणक्य ( Chanakya ) अपने इस श्लोक में कहते हैं कि संतान वही है जो अपने पिता की सेवा करे। पिता वही है जो अपने पूरे परिवार का लालन-पालन कर सकें। मित्र वही है जिस पर विश्वास किया जा सके और पत्नी वही है जो आपको हमेशा खुश रखें।
भाव – यहां चाणक्य ( Acharya Chanakya Niti ) द्वारा बताया गया है कि एक परिवार कैसा होता है या परिवार के लोगों में किस प्रकार के गुण होने चाहिए। सर्वप्रथम संतान। संतान अपने पिता की सेवा, आदर सम्मान, बात मानने वाला होना चाहिए। एक इच्छा पिता वही है जो अपने पूरे परिवार का पालन-पोषण अच्छे से कर सकें। एक सच्चा मित्र वही है जो भरोसे, विश्वास के लायक हो एक अच्छी पत्नी वही है जो आपको हमेशा खुश एवं आपका ध्यान रखती हो।
प्रभूतंकार्यमल्पंवातन्नरः कर्तुमिच्छति।
सर्वारंभेणतत्कार्यं सिंहादेकंप्रचक्षते॥
हिंदी अर्थ – चाणक्य ( Chanakya Niti ) कहते हैं कि इंसान को अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए शेर की तरह व्यवहार करना चाहिए, जिस तरह एक शेर अपने शिकार पर नजर रख एकाग्रता के साथ उसको देखता है और अपनी पूरी ताकत के साथ शिकार पकड़ने का प्रयास करता है। उसी तरह इंसान को भी पूरी ताकत और एकाग्रता के साथ कोई भी काम करना चाहिए।
भाव – यहां चाणक्य द्वारा बताया गया है कि किसी भी इंसान को अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए या पूरा करने के लिए एक शेर की तरह व्यवहार करना चाहिए जिस तरह एक शेर अपने शिकार को एकाग्रता के साथ उसको देखता है और अपनी पूरी ताकत के साथ शिकार पकड़ने का प्रयास करता है। शेर हमेशा अपना पूरा बल लगाकर शिकार करता है, चाहे वह शिकार छोटा हो या बड़ा। इसी प्रकार, मनुष्य को भी अपने हर छोटे-बड़े कार्यों में एकाग्रता के साथ अपना पूरा बल लगाना चाहिए।
यस्मिन्देशे न सम्मानो नवृत्तिर्न च बान्धवाः।
न च विद्यागमोऽप्यस्ति वासस्तत्र न कारयेत्॥
हिंदी अर्थ – इस श्लोक में चाणक्य ( Chanakya Niti In Hindi ) कहते हैं कि ऐसा देश जहां आपको सम्मान ना मिलता हो, जहां कोई आजीविका का साधन ना हो और जहां भाई बंधु आदि कोई ना रहता हो, जहां विद्या प्राप्त करने का कोई साधन ना हो, ऐसी जगह पर कभी भी निवास नहीं करना चाहिए।
भाव – यहां चाणक्य ( Acharya Chanakya ) द्वारा बताया गया है कि किस देश या स्थान पर नहीं रहना चाहिए। ऐसी जगह या देश जहां आपको सम्मान, सत्कार ना मिलता हो, जहां कोई रोजी रोटी का कोई साधन ना हो, जहां आपका कोई भाई बंधु आदि नहीं रहता हो और जहां पर ज्ञान आर्जित करने का कोई साधन ना हो, ऐसे देश या स्थान पर रहने का कोई फायदा नहीं होता।
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